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Bihar Election News (JKJ News) : नमस्कार मैं अभिषेक सिंह, आज हम किसी सरकारी काम या किसी दुर्घटना के बारे में बात नहीं करने वाले हैं। आज हम बिहार और झारखंड के दो ऐसे चेहरे के बारे में बात करने वाले हैं। जिन्होंने आज के समय में अपने-अपने जगह पर तहलका मचाए हुए हैं। पर दोनों में बस फर्क ईतना है कि एक ने अपना पार्टी बनाकर विधायक बन गए और दूसरे ने लालच में आकर अपना मिला हुआ सामान भी खो दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड का टाइगर यानी कि जयराम महतो और सन ऑफ बिहार कहे जाने वाले मनीष कश्यप के बारे में।
पहले तो हम आपको जयाराम महतो के बारे में बताते हैं। जयराम महतो का जन्म 1995 में धनबाद जिले के मैनाटाड़ गांव में हुआ था। वह अपनी और ध्यान तब आकर्षित करवाए जब वह 2022 में राज्य स्तरीय परीक्षाओं में स्थानीय भाषाए जैसे भोजपुरी, मगही और अंगिका को शामिल करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया ।उन्होंने हमेशा झारखंडी भाषाओं को बढ़ावा और झारखंड के निवासियों के लिए स्थानीय नीति का मांग किया। 2023 के जून में जयराम महतो और कई छात्र नेताओं ने एक साथ मिलकर झारखंडी भाषा संघर्ष खतियानी समिति का गठन किया। उनके द्वारा छात्र नेताओं के साथ मिलकर गठन किया हुआ संगठन ने झारखंड के लिए 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का मांग किया।
जयराम महतो झारखंड में हुए प्रसिद्ध
वह धीरे-धीरे बहुत प्रसिद्ध हुए। उन्हें झारखंड सहित आसपास के लोग जानने लगे। उन्हें लोग देखना और सुनना पसंद करने लगे। उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जबर्दस्त रिस्पॉन्स मिला। और वह लोकसभा चुनाव लड़े उस समय उनका पार्टी पंजीकृत नहीं थी। जयराम महतो के मिलाकर कुल 8 सीटों पर उनके समर्थक चुनाव लड़े। पर उन्हें एक भी सीट से चुनाव में जीत प्राप्त नहीं हुई। खुद जयराम महतो ने भी सीट हासिल नहीं कर सके पर उन्हें अच्छा खासा समर्थन मिला और वह खुद गिरिडीह लोकसभा सीट से 347322 वोट हासिल कर तीसरा स्थान पर आए।
फिर जयराम महतो ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसका नाम JLKM (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा) रखा। और पंजीकृत भी करवाया। महतो के संगठन JLKM ने स्थानीय नीति को अपना एजेंडा बनाया और उन्होंने कहा कि उनके पार्टी के कोई भी प्रत्यशि चुनाव जीतते हैं। तो उनकी वेतन का 75% हिस्सा झारखंड के लोगों के लिए जन कल्याण के लिए दान दे देंगे। JLKM ने अपना पहला विधानसभा चुनाव में झारखंड के 81 सीटों में से 73 पर उम्मीदवार उतारे। खुद जेएलकेएम सुप्रीमो जयराम महतो ने दो विधानसभा सीट डुमरी और बेरमो से चुनाव लड़े। और डुमरी से चुनाव जीत कर विधायक बने। डूमरी विधानसभा सीट पर झामुमो प्रत्याशी और मंत्री बेबी देवी को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल किया।
झारखंड विधानसभा चुनाव में दिखाया जलवा
वहीं बेरमो विधानसभा सीट में दूसरे स्थान पर आए और अभी वह फिलहाल धमाल मचाए हुए हैं। वर्तमान में झारखंड के हर एक जिले में जाकर सभा कर रहे हैं। ताकि हर जिला के लोग उनके पार्टी को जाने और अगले विधानसभा चुनाव में उनके पार्टी के प्रत्याशियों को वोट करें। यहां तक की झारखंड के लोगों का भी कहना है कि उनकी पार्टी का झारखंड में सरकार बने और जराम महतो को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
सन ऑफ़ बिहार यानी कि मनीष कश्यप के बारे में जाने
दूसरे तरफ सन ऑफ बिहार यानी की मनीष कश्यप हैं। मनीष कश्यप का पूरा नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है। ये बिहार के पश्चिमी चंपारण के डुमरी महनवा के रहने वाले हैं। इन्होंने इंजीनियरिंग का पढ़ाई किए हैं। पर ये यूट्यूब पर चैनल बनाकर खबर दिखाया करते थे। धीरे-धीरे ये बिहार सहित पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए इन्हें सच्चाई के लिए जाना गया। तमिलनाडु में हुए एक घटना पर खबर चलाने के कारण इन पर मुकदमा दर्ज हुआ और यह जेल भी चले गए। जेल से बाहर आने के बाद यह लोकसभा चुनाव में उतरे।
इन्हें अपार समर्थन भी मिल रहा था। जगह-जगह पर इन्हें दूध से नहाया जाने लगा। सोशल मीडिया पर खूब इनके बारे में चर्चा हुआ। पर यें भाजपा के चाल में फंस गए। मनीष कश्यप बिहार के पश्चिमी चंपारण सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। पर उस वक्त अचानक से बीजेपी ने अपना दाव खेला और मनीष कश्यप को अपना पार्टी में शामिल कर लिया। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी संजय जयसवाल चुनाव लड़े थे और चुनाव भी जीते थे। मनीष कश्यप को चुनाव लड़ने से पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही होता। क्योंकि भाजपा का वोट भी उन्हीं को प्राप्त होता।
भाजपा के चाल में फंस गए मनीष कश्यप
भाजपा में शामिल हो जाने के कारण वो चुनाव नहीं लड़े। भाजपा में शामिल होने के कारण उनके समर्थक भी घट गए।
लोगों को यहां तक भी लगने लगा था कि मनीष कश्यप चुनाव निकाल लेंगे और पश्चिमी चंपारण से सांसद भी बन जाते।
फिलहाल वो भाजपा से नाता तोड़कर जनसुराज पार्टी में शामिल हो गए हैं। और बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव में सक्रिय हैं। और वह जान सुराज के टिकट पर चनपटिया विधानसभा से चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। और यह भी तय है कि वह चुनाव लड़ेंगे हैं। अब देखना ये है कि क्या मनीष कश्यप चुनाव निकाल पाएंगे या नहीं। क्योंकि भाजपा में शामिल हो जाने कारण उनका समर्थन घट चुके थे। हां अगर वह झारखंड का टाइगर यानी कि डुमरी विधायक की तरह अपना पार्टी बनाकर चुनाव लड़े होते या निर्दलीय चुनाव लड़े होतेव तो हो सकता था कि आज वह पश्चिमी चंपारण के चुनाव जीतकर संसद होते हैं।