घाटशिला (Ghatshila By-Election 2025): वोटिंग से ठीक एक रात पहले घाटशिला विधानसभा में सियासी तापमान अचानक बढ़ गया। सोमवार की देर रात मुसाबनी प्रखंड के सूरदा कोचिंग चौक पर स्थित एक होटल में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन पर पैसे बांटने का आरोप लगने के बाद झामुमो और भाजपा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए।
हंगामे की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आया। घाटशिला एसडीओ, मुसाबनी डीएसपी और आसपास के थानों की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और हालात को नियंत्रित किया। देर रात तक दोनों दलों के बीच तनाव बना रहा, हालांकि किसी तरह की बड़ी हिंसा नहीं हुई।
🔥 क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, सोमवार रात करीब 9 बजे भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन अपने काफिले के साथ मुसाबनी के सूरदा कोचिंग चौक पहुंचे। बताया जा रहा है कि वे एक स्थानीय होटल में गए और अंदर ग्रिल बंद कर ली। कुछ देर बाद झामुमो कार्यकर्ताओं को खबर मिली कि होटल के अंदर स्थानीय लोगों को पैसे बांटे जा रहे हैं ताकि अगले दिन होने वाली वोटिंग को प्रभावित किया जा सके।
यह खबर फैलते ही झामुमो कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और होटल को चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद वहां जोरदार नारेबाजी शुरू हो गई – “प्रशासन जिंदाबाद”, “झामुमो जिंदाबाद”, “भ्रष्टाचार मुर्दाबाद” जैसे नारों से इलाका गूंज उठा।
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👮 प्रशासन हरकत में आया
जैसे ही घटना की सूचना घाटशिला के प्रशासन को मिली, एसडीओ, डीएसपी, और स्थानीय थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचे। बताया जा रहा है कि पुलिस ने होटल को घेर लिया और अंदर मौजूद सभी लोगों को बाहर निकाला।
पुलिस के अनुसार, झामुमो कार्यकर्ताओं ने भाजपा प्रत्याशी पर वोटरों को लुभाने के लिए पैसे बांटने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक राजनीतिक साजिश है।
पुलिस ने स्थिति को देखते हुए दोनों दलों के नेताओं से बातचीत की और हालात को शांत कराया। हंगामे के बीच भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को पुलिस सुरक्षा में होटल से बाहर निकाला गया और उन्हें उनके वाहन से सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।
🗣️ झामुमो का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी ने देर रात होटल में लोगों को बुलाकर पैसे और अन्य वस्तुएं बांटने की कोशिश की।
झामुमो प्रवक्ता का बयान:
> “भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन देर रात जमशेदपुर से लोगों को लेकर आए थे। उन्होंने होटल का गेट बंद कर अंदर बैठकों के नाम पर पैसे बांटने शुरू किए। जब हमें जानकारी मिली, तो हमने मौके पर जाकर इसका विरोध किया और प्रशासन को सूचना दी।”
झामुमो नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा घाटशिला उपचुनाव में हार की स्थिति देखकर हर संभव तरीका अपनाने की कोशिश कर रही है।
💬 भाजपा का जवाब
दूसरी ओर भाजपा ने झामुमो के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
भाजपा कार्यकर्ता और मुसाबनी के चुनाव प्रभारी ने कहा:
> “हमारे प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन हर रोज इसी होटल में रुकते हैं और चाय-पानी पीते हैं। झामुमो की हार तय है, इसलिए वह इस तरह के झूठे आरोप लगाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।”
भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि झामुमो के कार्यकर्ता खुद अफवाह फैलाकर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं ताकि मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा की जा सके।
⚖️ प्रशासन का रुख
घाटशिला एसडीओ ने मीडिया को बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी।
> “होटल की जांच की गई है और वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की जा रही है। अभी तक किसी भी तरह के पैसे या अन्य आपत्तिजनक वस्तु मिलने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।”
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, प्रचार समाप्त होने के बाद किसी भी प्रत्याशी को देर रात बिना अनुमति के प्रचार या भीड़ जुटाने की अनुमति नहीं है। यदि जांच में कुछ गलत पाया गया, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
🕵️ सियासी बयानबाजी तेज
इस घटना के बाद घाटशिला में राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है। झामुमो ने भाजपा पर “वोट खरीदने की साजिश” का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने झामुमो को “हार के डर से हंगामा करने वाला दल” बताया।
झामुमो के स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि भाजपा जनता का भरोसा खो चुकी है और अब पैसे के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।
वहीं भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि झामुमो प्रशासन पर गलत दबाव बना रही है ताकि भाजपा प्रत्याशी को बदनाम किया जा सके।
🗳️ घाटशिला में उपचुनाव का महत्व
घाटशिला विधानसभा झारखंड की एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। यह इलाका सिंहभूम जिले के अंतर्गत आता है और यहां झामुमो तथा भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है।
यह उपचुनाव प्रदेश की राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसके परिणाम से आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा तय हो सकती है।
इस बार झामुमो और भाजपा दोनों ने पूरी ताकत झोंक दी है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद घाटशिला में रैली की थी, जबकि भाजपा की ओर से केंद्रीय नेताओं ने प्रचार संभाला था।
📆 वोटिंग से पहले का सस्पेंस
वोटिंग से पहले हुई इस घटना ने पूरे इलाके में सस्पेंस और सियासी गर्मी बढ़ा दी है।
स्थानीय लोग भी अब इस मामले को लेकर दो हिस्सों में बंटे नजर आ रहे हैं —
कुछ लोग झामुमो के आरोपों को सही मानते हैं, तो कुछ का कहना है कि यह “राजनीतिक नाटक” है।
हालांकि, प्रशासन ने मतदाताओं से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और शांतिपूर्वक मतदान करें।
🔚 निष्कर्ष
घाटशिला उपचुनाव अब सिर्फ एक विधानसभा सीट का नहीं, बल्कि झारखंड की सियासी साख का सवाल बन चुका है।
वोटिंग से पहले जो हालात बने हैं, उन्होंने यह साफ कर दिया है कि मुकाबला कांटे का होने वाला है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है –
झामुमो की परंपरागत पकड़ बरकरार रहती है या भाजपा वापसी करती है।
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