
Palamu News ( JKJ News) : पांकी बसडीहा की एक घटना ने पूरे इलाके की आत्मा को झकझोर दिया है। एक दलित महिला, जो भुइयां जाति से है — जिसे समाज की नजरों में सबसे नीचे बैठा दिया गया, पर जिसने अपनी मेहनत और स्वाभिमान से अपना घर चलाना सीखा — आज उसी की देह और आत्मा को एक सामंती दरिंदे ने कुचल डाला।
डंडार कला पंचायत के पूर्व मुखिया पति जो ग्राम बसडीह के निवासी तेतराई बुनियादी विद्यालय का शिक्षक विद्यासागर पांडे, वही शिक्षक जो बच्चों को पढ़ाता है, समाज में आदर्श बनने का दावा करता है, उसने इस महिला के साथ जो किया — वह केवल हिंसा नहीं, वह सदीयों से चली आ रही जातिवादी गुलामी की मानसिकता दर्शाता है. भाकपा माले नेत्री
उस दलित महिला ने बस इतना ही कहा था कि वह अब उनके घर गोबर और बाड़ी का काम नहीं करेगी। लेकिन यह बात उस ब्राह्मणवादी मानसिकता को गवारा नहीं हुई, जिसे लगता है कि दलित स्त्री का जीवन केवल सेवा करने, जूठन उठाने और अपमान सहने के लिए बना है। एक दिन बाद, रात के सन्नाटे में — विद्यासागर पांडे ने उसके घर पर हमला किया। उसे बेरहमी से मारा, गाली दी, उसके घर का सारा सामान फेंक दिया, बल्कि समान को तोड़ फोड़ भी किया और इस अमानवीयता की हद पार करते हुए उसके निजी अंगों को पीटा। उस पर इतना शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया गया कि वह बेहोशी की हालत में पड़ी मिली। जिसके बाद वह पांकी सामुदायिक भवन में इलाजरत हैं। जिला परिषद सदस्य खुशबू कुमारी और छात्र नेता गुड्डू भुइयां जैसे जनपक्षीय लोग उसकी देखरेख में लगे हुए हैं।
लेकिन सवाल ये है —कहां है राज्य की पुलिस? कहां है प्रशासन? कहां है सरकार? Palamu News
यह कोई अकेली घटना नहीं है। विद्यासागर पांडे का यह कोई पहला अपराध नहीं है। पहले भी वह दलितों को गाली देने, महिलाओं को घर में बंद कर पीटने और उनका मनोबल तोड़ने का काम करता रहा है। पूरे बांसडीह गांव में उसका आतंक है। लेकिन चूंकि वह “ “ब्राह्मण” है, — इसलिए उसका अपराध छिपा दिया जाता है। लेकिन इस बार नहीं।
इस बार वह हमला सिर्फ एक महिला पर नहीं हुआ है — यह दलित समाज के आत्मसम्मान पर हमला है। यह महिला गरिमा पर हमला है। यह संविधान के मूल मूल्य — समानता, गरिमा, न्याय — इन सबकी सीधी हत्या है। और यह हमला सिर्फ उस महिला के शरीर पर नहीं, पूरे दलित समाज की चेतना पर किया गया है।
यह वह मानसिकता है, जो आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी दलितों को ‘इंसान’ नहीं मानती। जो मानती है कि दलित महिला की देह और श्रम, उसका अस्तित्व — सब कुछ उनके उपभोग के लिए है। यही ब्राह्मणवाद है, यही सामंतवाद है, जो आज भी गांव-गांव में ज़हर की तरह फैला हुआ है।
यह एक केस नहीं यह एक सामाजिक और राजनीतिक चेतावनी है
हम इस घटना को केवल “एक केस” नहीं मानते। यह एक सामाजिक और राजनीतिक चेतावनी है। यह सवाल है कि अगर आज हम चुप रह गए, तो कल हमारी मां-बहनें इस ज़हर का अगला शिकार होंगी।भाकपा (माले) और सभी जनतांत्रिक ताकतें इस अमानवीय अपराध के खिलाफ मजबूती से खड़ी हैं।
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हम इस घटना को दबने नहीं देंगे। हम इस महिला को न्याय दिलाएंगे। हम विद्यासागर पांडे को शिक्षक नहीं, एक जातिवादी अपराधी के रूप में बेनकाब करेंगे। हम उसके निलंबन, गिरफ्तारी और SC/ST एक्ट व महिला हिंसा की धाराओं के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं।हम राज्य महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से तत्काल संज्ञान लेने की अपील करते हैं। साथ उपस्थित भाकपा माले प्रखंड सचिव महेंद्र राम ,अरुण प्रजापति , उपमुखिया डंडार प्रेम राम , मनोज कुमार , रूपेश कुमार , भरत राम , दिलीप भुइयां , सोनू कुमार , सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे