शत्रुध्न कुमार सिंह / JKJ News Jharkhand
Panki Dussehra Puja (JKJ News) : पलामू जिला मुख्यालय से दूरस्थ प्रखंड पांकी में इस वर्ष विजयादशमी का पर्व विशेष रंग और उमंग के साथ मनाया गया। परंपरागत धार्मिक कार्यक्रमों के बीच रात्रि में आयोजित “दांडीया नाइट्स” ने लोगों का मन मोह लिया। यह आयोजन श्री शिवाला काली मंदिर समिति के सौजन्य से संपन्न हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए और देर रात तक संगीत, नृत्य और संस्कृति की झलकियों का आनंद उठाया।
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भक्ति और संस्कृति का संगम
विजयादशमी का पर्व अपने आप में भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है। पांकी के शिवाला काली मंदिर परिसर में जब दांडीया नाइट्स का आयोजन हुआ तो वहाँ भक्ति और संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिला। मंदिर की सजावट, रंग-बिरंगे झंडे और रोशनी से सजे प्रांगण ने वातावरण को और भी आकर्षक बना दिया।
स्थानीय सहभागिता ने बनाया आयोजन को खास
इस कार्यक्रम में हनुमान नगर पांकी बस्ती के बच्चों, बच्चियों, युवकों और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। हर किसी ने पारंपरिक परिधानों में मंच पर अपनी प्रस्तुति दी। छोटी बच्चियों ने समूह नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें मासूमियत और ऊर्जा का संगम दिखाई दिया। वहीं युवतियों ने दांडीया की पारंपरिक धुनों पर नृत्य कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पुरुषों और महिलाओं ने भी गरबा और दांडीया में भाग लेकर यह साबित कर दिया कि यह केवल युवाओं तक सीमित नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए आनंद और एकता का माध्यम है।
दांडीया की धुनों पर झूमे लोग
जब ढोलक, नगाड़े और आधुनिक साउंड सिस्टम की धुनों के साथ दांडीया शुरू हुआ तो पूरा वातावरण झूम उठा। जैसे-जैसे रात गहराती गई, वैसे-वैसे कार्यक्रम का उत्साह बढ़ता गया। लोग गोल घेरे में दांडीया की छड़ियाँ थामे नाचते रहे और दर्शक तालियाँ बजाकर उनका उत्साह बढ़ाते रहे।
कई स्थानों पर स्थानीय गीतों को भी दांडीया की शैली में प्रस्तुत किया गया, जिसने आयोजन को और भी खास बना दिया। दर्शकों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से हमें हमारी पारंपरिक संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलता है।
सामाजिक एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का संदेश
शिवाला काली मंदिर समिति ने इस अवसर पर कहा कि ऐसे आयोजनों का मुख्य उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं है, बल्कि समाज में भाईचारा और आपसी सद्भाव को मजबूत करना है। समिति के एक पदाधिकारी ने बताया,
“दांडीया और गरबा जैसे आयोजन हमारे देश की प्राचीन परंपरा हैं। हम इन्हें पांकी जैसे ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित कर युवाओं को उनकी संस्कृति से जोड़ना चाहते हैं। साथ ही, समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देना हमारा मकसद है।”
आयोजन ने खींची बड़ी भीड़
दांडीया नाइट्स का यह आयोजन इतना आकर्षक रहा कि पांकी ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंचे। परिवार के साथ आए दर्शकों ने कहा कि इस तरह के आयोजन से गांव-शहर का अंतर मिटता है और ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी सांस्कृतिक गतिविधियों का भरपूर आनंद ले पाते हैं।
स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों ने भी इस आयोजन से अच्छी कमाई की। जगह-जगह मिठाई, नाश्ते और खिलौनों की दुकानें सजी रहीं, जिससे मेले जैसा माहौल बन गया।
बच्चों और युवाओं की ऊर्जा बनी आकर्षण का केंद्र
बच्चों और युवाओं की प्रस्तुतियाँ इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहीं। छोटी-छोटी बच्चियों ने दांडीया की ताल पर जब कदम मिलाए तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। वहीं युवाओं ने आधुनिक और पारंपरिक दोनों अंदाज़ में नृत्य प्रस्तुत किए।
महिलाओं ने समूह नृत्य में रंग-बिरंगे परिधानों और समन्वित तालमेल से कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। कई बुजुर्ग महिलाएँ भी दांडीया खेलते हुए नजर आईं, जो इस आयोजन की सबसे विशेष झलक रही।
भव्य दृश्य और विडियो बने चर्चा का विषय
आयोजन के कुछ मनोरम दृश्य विडियो में कैद किए गए हैं, जिन्हें लोग सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। रंगीन रोशनी, ताल पर थिरकते लोग और मंदिर प्रांगण में उमड़ा उत्साह आयोजन की भव्यता को बखूबी दर्शाता है।
जनप्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति
स्थानीय जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग भी इस अवसर पर मौजूद रहे। उन्होंने समिति की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम से पांकी का नाम जिले में ही नहीं बल्कि राज्य स्तर पर भी रोशन होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में इस आयोजन को और भी बड़े स्तर पर किया जाएगा।
लोगों की प्रतिक्रिया
आयोजन में आए दर्शकों ने कहा कि दांडीया नाइट्स ने विजयादशमी के पर्व को और भी खास बना दिया। एक महिला दर्शक ने कहा, आज के समय में जब युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर अधिक आकर्षित होते हैं, ऐसे आयोजन उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखने का काम करते हैं।वहीं एक युवक ने कहा कि उसे पहली बार दांडीया खेलने का मौका मिला और यह अनुभव बहुत आनंददायक रहा। बच्चों ने भी इस आयोजन को बेहद पसंद किया और अगले वर्ष फिर से ऐसे कार्यक्रम की मांग की।
समापन और आगामी योजना
देर रात तक चले इस भव्य आयोजन का समापन माँ दुर्गा और काली माता के जयघोष के साथ हुआ। आयोजकों ने घोषणा की कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और भी बड़े स्तर पर किया जाएगा तथा इसमें बाहर से भी कलाकारों को आमंत्रित करने की योजना है।
विजयादशमी का पर्व केवल धार्मिक महत्व का ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत खास है। पांकी के शिवाला काली मंदिर परिसर में आयोजित दांडीया नाइट्स ने यह साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति और सामूहिक सहयोग हो तो छोटे ग्रामीण इलाकों में भी बड़े और आकर्षक सांस्कृतिक आयोजन संभव हैं।
इस दांडीया नाइट्स ने न केवल लोगों को आनंदित किया बल्कि उन्हें उनकी परंपराओं से भी जोड़ने का कार्य किया। बच्चों, युवाओं और महिलाओं की भागीदारी ने आयोजन को और भी यादगार बना दिया।
इस तरह पांकी ने विजयादशमी के दिन धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्सव का ऐसा संगम देखा, जिसने सभी के दिलों पर अमिट छाप छोड़ दी।





